अहीरों ने इतने ऊंचे पहाड़ कभी नहीं देखे, और ऊंचे पहाड़ों ने अहीरों जैसा ऊंचा जज्बा नहीं देखा

जिसने ये कहानी नहीं सुनी वो सच्चा यदुकुल वंशी कैसे हो सकता है।

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यदुकुल वालों का स्वागत है। साथियों यदुकुल जैसे संगठन को बनाने की क्यों जरुरत पड़ी और क्या है यदुकुल संगठन के उदेश्य ?
यादव ,यदुवंशी,अहीर जाने और भी कितने नाम से यदुकुल समाज के संगठन सैकड़ो सालों से बने है वो अपने तरीके से समाज के लिए काम कर रहे है ये भी सच है । पर वो पर्याप्त नहीं है यदुकुल जो न केवल भारतवर्ष का मूल है अपितु दुनिया के अस्तित्व का एक बड़ा भाग है वो लगातार अपनी पहचान खोता जा रहा है। कारण हमारे समाज को अपने इतिहास का ,अपने अस्तित्व का लेस मात्र ज्ञान नहीं ,पहचान नहीं और विडम्बना ये की जानने की इच्छा भी नहीं । हमें कोई आता है पिछड़ा बताता है हम उसकी बात मान लेते है। कोई पशु पालक बताता है हम स्वीकार कर लेते है । कोई कुछ कहे हम उसे ही अपनी पहचान मान लेते है और माने भी क्यों ना हमें अपनी पहचान ही नहीं है । कौन है हम ? क्या है ...
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